Posts

W.H.O - NEW AIMS & STRATEGIES to save millions of lives from meningitis. # URGENT ACTION of W.H.O on meningitis # MENINGITIS INTRODUCTION , CAUSES ,RISK FACTORS ,PREVENTIONS , TREATMENT ,STRATEGIES BY W.H.O for the patients of meningitis.

Image
MENINGITIS It is an acute inflammation of the delicate membranes of the brain & spinal cord. It can be life-threatening & spreads between people in close contact with each other. It can also be explained as acute infection or inflammation of the pia mater and arachnoid mater surrounding the brain. MENINGES It is a system of membranes that envelopes the CENTRAL NERVOUS SYSTEM. It has 3 layers 1.Dura mater 2.Arachnoid mater 3.Pia mater SUBARACHNOID SPACE It is a space between the arachnoid and pia mater, which is filled with cerebrospinal fluid. CURRENT SCENARIO OF MENINGITIS (AS PER  VIEW OF W.H.O )  World Health Organization (WHO) and partners launched the first-ever global strategy to defeat meningitis - a debilitating disease that kills hundreds of thousands of people each year. By 2030, the goals are to eliminate epidemics of bacterial meningitis – the most deadly form of the disease – and to reduce deaths by 70% and halve the number of case...

VITAMINS : KNOWLEDGE OF VITAMINS , #SOURCES #SCIENTIFIC NAME #DEFICIENCIES

Image
🌟 विटामिन तथा उनके रासायनिक नाम 🌟  ❂ विटामिन- A ➢ रासायनिक नाम : रेटिनाॅल ❍ कमी से रोग: रतौंधी ❖ स्त्रोत : 🥕गाजर,🥛 दध, 🥚अण्डा ,🍓फल🍉 ❂ विटामिन – B1 ➢ रासायनिक नाम: थायमिन ❍ कमी से रोग: बेरी-बेरी ❖ स्त्रोत : 🥜मगफली, आलू, 🥦सब्जीयाँ🍆 ❂ विटामिन – B2 ➢ रासायनिक नाम: राइबोफ्लेबिन ❍ कमी से रोग: त्वचा फटना, आँख का रोग ❖ स्त्रोत : 🥚अण्डा,🥛 दध,🥦 हरी सब्जियाँ ❂ विटामिन – B3 ➢ रासायनिक नाम: पैण्टोथेनिक अम्ल ❍ कमी से रोग: पैरों में जलन, बाल सफेद ❖ स्त्रोत :🍗 मांस🍖,🥛 दध, 🍅टमाटर, मुँगफली🥜 ❂ विटामिन- B5 ➢ रासायनिक नाम: निकोटिनेमाइड (नियासिन) ❍ कमी से रोग: मासिक विकार (पेलाग्रा) ❖ स्त्रोत : 🍗मांस🍖, 🥜मगफली, आलू ❂ विटामिन- B6 ➢ रासायनिक नाम: पाइरीडाॅक्सिन ❍ कमी से रोग: एनीमिया, त्वचा रोग ❖ स्त्रोत : 🥛दध, 🍗मांस,🥦 सब्जी🍆 ❂ विटामिन – H / B7 ➢ रासायनिक नाम: बायोटिन ❍ कमी से रोग: बालों का गिरना , चर्म रोग ❖ स्त्रोत : यीस्ट, गेहूँ, 🥚अण्डा ❂ विटामिन – B12 ➢ रासायनिक नाम: सायनोकोबालमिन ❍ कमी से रोग: एनीमिया, पाण्डू रोग ❖ स्त्रोत : 🍗मांस, 🍖कजेली, 🥛दध ❂ विटामिन- C ➢ रासा...

HOW TO CONTROL HAIRFALL !! AYURVEDIC TIPS TO CONTROL HAIRFALL #CAUSES #SYMPTOMS #AYURVEDIC TREATMENT # HOW TO STOP HAIRFALL ! #BEST AYURVEDIC TREATMENT

Image
परिचय बाल सिर्फ चेहरे की सुन्दरता ही नहीं बढ़ाते बल्कि ये गर्मी और सर्दी से सिर की रक्षा भी करते हैं। बाल सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों को शोषित करके विटामिन `ए` और `डी` को संरक्षित भी करते हैं तथा इसके साथ-ही साथ उष्णता, शीतलता, और तेज हवा से हमारे सिर की सुरक्षा भी करते हैं। जब यह बाल किसी कारण से झड़ने लगते हैं तो व्यक्ति की सुन्दरता बेकार लगने लगती हैं। इस रोग के कारण व्यक्ति के सिर के बाल झड़ने लगते हैं। जब रोगी व्यक्ति के बाल बहुत अधिक झड़ने लगते हैं तो वह गंजा सा दिखने लगता है। बाल झड़ने का कारण:- यह रोग व्यक्ति को अधिकतर तब होता है जब व्यक्ति के शरीर में विटामिन `बी´ एवं प्राकृतिक लवणों, लौह तत्व तथा आयोडीन की कमी हो जाती है। कई प्रकार के लम्बे रोग जैसे- टायफाइड, उपदंश, जुकाम, नजला, साइनस तथा रक्तहीनता (खून की कमी) आदि रोग होने के कारण भी व्यक्ति के बाल झड़ने लगते हैं। किसी प्रकार के आघात या बहुत अधिक चिंता करने के कारण भी यह रोग व्यक्ति को  हो जाता है। सिर की ठीक तरीके से सफाई न करने के कारण भी बाल झड़ने लगते हैं। शरीर में हार्मोन्स के असंतुलन के कारण भी व्यक्ति के बा...

CERVICAL SPONDYLOSIS : INTRO, CAUSES, SYMPTOMS, AYURVEDIC TREATMENTS, PRECAUTIONS # गर्दन में दर्द क़े आयुर्वेदिक उपचार # कारण #बचाब #लक्षण #आयुर्वेदिक चिकित्सा # CERVICAL PAIN

Image
      परिचय     उम्र के साथ हड्डियों में घिसाव व बदलाव आ जाता है। यह गर्दन की हड्डियों में भी होता है। हड्डियों में घिसाव, अन्तर हो जाने या इनके जोड़ वाले भाग की मांसपेशियों में सूजन से गर्दन का दर्द यानि सर्वाइकल स्पांडाइलोसिस (Cervical Spondolysis) होता है। यह सब गर्दन की उस हड्डी में होता है जिसे सरवाइकल स्पाइन कहते हैं। रीढ़ की हड्डी का गर्दन वाला यह भाग मेरुदण्ड (Spine) की सात कशेरूकाओं (Vertebrae) एवं उनके मध्य की डिस्क से बनता है। गर्दन की 85 प्रतिशत गतिविधियाँ ऊपर की दो कशेरूकाओं के कारण होती है। गर्दन के दर्द से होने वाली परेशानी इसमें बाधा पहुंचाती हैं। सरवाइकल स्पांडाइलोसिस पहले 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को होता था किन्तु वर्तमान समय की जीवनचर्या एवं आजीविका ने बच्चे और बड़ों सभी को गर्दन में दर्द का मरीज बना दिया है।           कारण :  सोते समय मोटे तकिए का उपयोग इसका एक कारण है।   • बैठने की गलत स्थिति के कारण, लंबे समय तक एक जैसी स्थिति में बैठना। कंप्यूटर पर ज्यादा देर तक काम करने वाले व्यक्त...

गठिया को जड़ से ख़त्म करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार #Introduction ,stages ,causes ,symptoms, precautions, AYURVEDIC TREATMENTS OF GOUT (ARTHRITIS )

Image
  परिचय जोड़ हड्डियों से बने होते हैं जो एक कैप्सूल यानि संपुट में होते हैं। इस कैप्सूल के ऊतक (Tissue) एक प्रकार का चिकना द्रव्य बनाते हैं जिसे सायनोवियल फ्लूड ( Synovial Fluid ) कहा जाता है।  इसी फ्लूड की सहायता से उंगलियों के जोड़ आसानी से काम करते हैं। इसी द्रव्य पर कैप्सूल के अंदर के ऊतक भी निर्भर करते हैं। गठिया (Gathiya) की समस्या उस समय पैदा होती है जब शरीर बहुत ज्यादा यूरिक एसिड बनाने लगता है और उसके कण कैप्सूल के अंदर पहुंचने लगते हैं।   कैसे फैलता है गठिया (Stages of Gout)  गठिया (Gathiya) की शुरूआत सबसे पहले पंजों से होती है। अधिकांश रोगियों (लगभग 50%) में पैर के अंगूठे के जोड़ (मेटाटारसल-फेलेंजियल जोड़) में तकलीफ होती है। तब इसे पोडोग्रा (Podagra) भी कहते हैं। कुछ समय के बाद इसके कण शरीर के दूसरे जोड़ों तक फैल जाते हैं और यही दर्द बढ़ता हुआ कोहनी, घुटनें, हाथों की उगुंलियों के जोड़ों और ऊतकों तक पहुँचता है।   गठिया के लक्षण (Symptoms of Gout)  जोड़ों में रात को अचानक बहुत तेज दर्द होता है और सूजन आ जाती है। जोड़ लाल और गर्म महसूस ह...

AYURVEDIC APPROACH TO CONCEPTION 44 आयुर्वेदिक औषधिया for गर्भधारण # INFERTILITY MANAGEMENT

Image
गर्भधारण के उपाय   1. मोरछली : मोरछली की छाल का चूर्ण खाने से गर्भ ठहरता है। 2. केसर : केसर और नागकेसर को 4-4 ग्राम की मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इसकी तीन पुड़िया मासिक-धर्म समाप्त होने के तुरंत बाद खाने से गर्भ स्थापित होता है। 3. हंसपदी : हंसपदी को बारीक पीसकर पीने से स्त्री का गर्भ स्थापित होता है। 4. शंखावली : शंखाहुली या इसके पंचांग के सेवन करने से गर्भ की स्थापना अवश्य होती है। 5. गोरखमुण्डी : गोरखमुण्डी और जायफल बारीक पीसकर सेवन करने से सन्तान की अवश्य ही प्राप्ति होती है। 6. समुद्रफेन : समुद्रफेन को दही के साथ खाने से निश्चय ही गर्भ धारण होता है। 7. समुद्रफल : समुद्रफल और अजवायन के सेवन से गर्भधारण अवश्य ही होता है। 8. खिरैटी: मासिक-धर्म में सफेद खिरेटी, मुलहठी तथा मिश्री मिलाकर गाय के दूध के साथ सेवन करने से गर्भ अवश्य ठहरता है। 9. सोंठ: सोंठ, मिर्च, पीपल और नागकेशर का चूर्ण घी के साथ माहवारी समाप्ति के बाद स्त्री को सेवन कराने से गर्भ ठहर जाता है। 10 . सरसो: सफेद सरसो, बच, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, गदहपुरैना, दूधी, कूठ, मुलहठी, कुटकी, खंभारी के फल, फालसा,...

HOW TO DEAL WITH THE PREMATURE & EARLY MENOPAUSE !! CAUSES, SYMPTOMS & 20 AYURVEDIC REMEDIES TO DEAL WITH IT!!!!!

Image
रजोनिवृत्ति काल (समय) से पहले ही मासिक धर्म का रुकना नष्टार्तव (मासिक धर्म का रुकना) कहा जाता है। अर्थात महिलाओं का मासिक-धर्म का बंद हो जाना नष्टार्तव कहलाता है।        यदि गर्भाशय का मुंह किसी एक ओर मुड़ जाता है तो भी रज:स्राव नहीं होता है।        मासिक स्राव एक बार शुरू होने के बाद प्रत्येक 4 सप्ताह पर रजोनिवृत् की उम्र तक नियमित रूप से होता रहता है। गर्भावस्था में मासिक स्राव का रुकना स्वाभाविक होता है। अन्य समय में रुके तो गर्भाशय का विकार समझकर चिकित्सा करनी चाहिए। कारण :   शरीर में खून की कमी , ठंड के कारण दोषों की विकृति से रक्त का गाढ़ा होना, गर्भाशय की नसों का मुंह बंद हो जाना, गर्भाशय में सूजन आना अथवा घावों का होना, गर्भाशय से रज निकलने के मार्ग में मस्सा उत्पन्न हो जाना, अधिक मोटापा तथा गर्भाशय के मुंह का किसी ओर घूम जाना और अधिक चिंता आदि कारणों से स्त्रियों का मासिक-धर्म अर्थात रज:स्राव बंद हो जाता है। लक्षण :   सभी युवा महिलाएं प्रत्येक महीने रजस्वला होती है तथा उनकी योनि से 3 से 5 दिनों तक एक प्रका...