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CERVICAL SPONDYLOSIS : INTRO, CAUSES, SYMPTOMS, AYURVEDIC TREATMENTS, PRECAUTIONS # गर्दन में दर्द क़े आयुर्वेदिक उपचार # कारण #बचाब #लक्षण #आयुर्वेदिक चिकित्सा # CERVICAL PAIN

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      परिचय     उम्र के साथ हड्डियों में घिसाव व बदलाव आ जाता है। यह गर्दन की हड्डियों में भी होता है। हड्डियों में घिसाव, अन्तर हो जाने या इनके जोड़ वाले भाग की मांसपेशियों में सूजन से गर्दन का दर्द यानि सर्वाइकल स्पांडाइलोसिस (Cervical Spondolysis) होता है। यह सब गर्दन की उस हड्डी में होता है जिसे सरवाइकल स्पाइन कहते हैं। रीढ़ की हड्डी का गर्दन वाला यह भाग मेरुदण्ड (Spine) की सात कशेरूकाओं (Vertebrae) एवं उनके मध्य की डिस्क से बनता है। गर्दन की 85 प्रतिशत गतिविधियाँ ऊपर की दो कशेरूकाओं के कारण होती है। गर्दन के दर्द से होने वाली परेशानी इसमें बाधा पहुंचाती हैं। सरवाइकल स्पांडाइलोसिस पहले 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को होता था किन्तु वर्तमान समय की जीवनचर्या एवं आजीविका ने बच्चे और बड़ों सभी को गर्दन में दर्द का मरीज बना दिया है।           कारण :  सोते समय मोटे तकिए का उपयोग इसका एक कारण है।   • बैठने की गलत स्थिति के कारण, लंबे समय तक एक जैसी स्थिति में बैठना। कंप्यूटर पर ज्यादा देर तक काम करने वाले व्यक्त...