Thyroid classifications : Hyperthyroid & Hypothyroid Ayurvedic Treatment "थायरॉइड का परिचय, कारण, लक्षण, भोजन एवं परहेज, जांच एवं उपचार, लाभदायक आसन" Ayurvedic Remedies
थायराइड
थायराइड शरीर का एक प्रमुख एंडोक्राइन ग्लैंड है जो तितली के आकार का होता है एवं गले में स्थित है।
इसमें से थायराइड हार्मोन का स्राव होता है जो हमारे मेटाबालिज्म की दर को संतुलित करता है। थायराइड ग्लैंड्स शरीर से आयोडीन लेकर इन्हें बनाते हैं। यह हार्मोन मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने के लिए जरूरी होती हैं। थायराइड हार्मोन का स्राव जब असंतुलित हो जाता है तो शरीर की समस्त भीतरी कार्यप्रणालियां अव्यवस्थित हो जाती हैं।
थायराइड 2 प्रकार का होता है :
हाइपोथायराइड :
* इसमें थायराइड ग्लैंड सक्रिय नहीं होता जिससे शरीर में आवश्यकतानुसार टी.थ्री व टी. फोर हार्मोन नहीं पहुंच पाता है।
* इस स्थिति में वजन में अचानक वृद्धि हो जाती है। *सुस्ती महसूस होती है।
* रोजाना की गतिविधियों में रूचि कम हो जाती है।
* शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम़जोर हो जाती है।
* पैरों में सूजन व ऐंठन की शिकायत होती है।
* चलने में दिक्कत होती है।
* ठंड बहुत महसूस होती है।
* कब्ज होने लगती है।
* चेहरा व आंखें सूज जाती हैं।
* मासिक चक्र अनियमित हो जाता है।
* त्वचा सूखी व बाल बेजान होकर झड़ने लगते हैं। *हमेशा डिप्रेशन में रहने लगता है।
* रोगी तनाव व अवसाद से घिर जाते हैं और बात-बात में भावुक हो जाते हैं।
* आवाज रूखी व भारी हो जाती है।
* यह रोग 30 से 60 वर्ष की महिलाओं को होता है।
हायपरथायराइड :
* इसमें थायराइड ग्लैंड बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाता है और टी. थ्री, टी. फोर हार्मोन अधिक मात्रा में निकलकर रक्त में घुलनशील हो जाता है।
* इस स्थिति में वजन अचानक कम हो जाता है।
* भूख में वृद्धि होती है।
* रोगी गर्मी सहन नहीं कर पाते।
* अत्यधिक पसीना आता है।
* मांसपेशियां कमजोर हो जाती है।
* हाथ कांपते हैं और आंखें उनींदी रहती हैं।
* निराशा हावी हो जाती है।
* धड़कन बढ़ जाती है।
* नींद नहीं आती।
* मासिक रक्तस्राव ज्यादा एवं अनियमित हो जाता है। *गर्भपात के मामले सामने आते हैं।
* हायपर थायराइड बीस साल की महिलाओं को ज्यादा होता है।
नुकसान क्या है!!!!
महिलाएं थायराइड की सबसे ज्यादा शिकार होती हैं। स्थिति यह है कि हर दस थायराइड मरीजों में से आठ महिलाएं ही होती हैं। उनका वेट बढ़ने की एक बड़ी वजह यह भी है। इससे तनाव, अवसाद, नींद ठीक से न आना, कोलेस्ट्रॉल, आस्टियोपोरोसिस, बांझपन, पीरियड का टाइम पर न आना, दिल की धड़कन बढ़ना जैसी परेशानियां सामने आ सकती हैं।
जांच व उपचार
थायराइड के दोनों प्रकार में ब्लड टैस्ट किया जाता है। ब्लड में टी. थ्री, टी. फोर एवं टी. एस. एच. लेवल में सक्रिय हार्मोंस का लेवल जांचा जाता है। टैस्ट रिपोर्ट्स के अनुसार डाक्टर ट्रीटमेंट करते हैं। अधिकतर रोगियों को उम्र भर दवा खानी पड़ती है, किंतु पहले चरण में उपचार करा लेने से ज्यादा परेशानियां नहीं आतीं। मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। ऐसी चीजें न खाएं जिससे थायराइड से पैदा होने वाली परेशानियां और बढ़ जाएं।
परहेज
* आयोडीन वाला खाना :
चूंकि थायराइड ग्लैंड्स हमारे शरीर से आयोडीन लेकर थायराइड हार्मोन पैदा करते हैं, इसलिए हाइपोथायराइड है तो आयोडीन की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों से जीवनभर दूरी बनाए रखें। सी फूड और आयोडीन वाले नमक को अवॉइड करें।
* कैफीन :
कैफीन वैसे तो सीधे थाइराइड नहीं बढ़ता, लेकिन यह उन परेशानियों को बढ़ा देता है, जो थायराइड की वजह से पैदा होती हैं, जैसे बेचैनी और नींद में खलल।
* रेड मीट :
रेड मीट में कोलेस्ट्रॉल और सेचुरेडेट फैट बहुत होता है। इससे वेट तेजी से बढ़ता है। थाइराइड वालों का वेट तो वैसे ही बहुत तेजी से बढ़ता है। इसलिए इसे अवॉयड करें इसके अलावा रेड मीट खाने से थाइराइड वालों को बदन में जलन की शिकायत होने लगती है।
* एल्कोहल :
एल्कोहल यानी शराब़, बीयर वगैरा शरीर में एनर्जी के लेवल को प्रभावित करता है। इससे थाइराइड की समस्या वाले लोगों की नींद में दिक्कत की शिकायत और बढ़ जाती है। इसके अलावा इससे ओस्टियोपोरोसिस का खतरा भी बढ़ जाता है।
* वनस्पति घी :
वनस्पति घी को हाइड्रोजन में से गुजार कर बनाया जाता है। यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल को खत्म करते हैं और बुरे को बढ़ावा देते हैं। बढ़े थाइराइड से जो परेशानियां पैदा होती हैं, ये उन्हें और बढ़ा देते हैं। ध्यान रहे इस घी का इस्तेमाल खाने-पीने की दुकानों में जमकर होता है। इसलिए बाहर का फ्राइड खाना न ही खाएं।
हाइपो थाइरोइड (Hypo-Thyroid )- जब थाइरोइड ग्रंथि बहुत धीर धीरे काम करती है या असक्रिय हो जाती है तो शरीर में हॉर्मोन का स्राव व संतुलन बिगड़ जाता है! इसमे जरूरी T3 और T4 होरमोन का संतुलन बिगड़ जाता है हाइपो-थाइरोइड के निम्न लक्षण है;
* शरीर का वजन बढ़ना
* अधिक ठण्ड महसूस होती है
* मन किसी भी काम में नहीं लगता
* अक्सर कब्ज व गैस की समस्या रहती है
थायरड की पहचान के लक्षण
इस बीमारी में कई तरह की समस्याए उत्पन्न हो जाती है और रोगी अक्सर किसी न किसी समस्या के जूझता रहता है! इस रोग के कई स्वाभाविक लक्षण देखने में आते है जो इस प्रकार से है! (Thyroid patient suffer lots of body problem in their entire life, this disease requires attention and cure, patient should not ignore any type of general symptoms which he is facing and always do checkups once on every 5 to 6 month.)
* अनावश्यक तरीके से वजन का बढ़ना या धटना - uncommon weight increase
* आवाज का भारी होना।
* गर्दन के निचले भाग में सुजन अथवा गांठ और दर्द की समस्या होना।
* बोलने या कोई काम करने पर साँस फूलने लगना।
* साँस लेने में परेशानी होना।
* भूख का अनियंत्रित हो जाना।
* डिप्रेशन में पड़ जाना।
* नींद या अनिद्रा की परेशानी।
* स्किन का रूखा या खुरदुरा पड़ना।
* स्किन से सम्बंधित बिमारिया होना।
* अधिक ठण्ड महसूस करना।
पिच्युटरी ग्रंथि और थाइरोइड ग्रंथिया एक साथ क्रिया करती है जिससे शरीर तापमान को नियंत्रित कर सके! थाइरोइड ग्लैंड के असामान्य रूप से कार्य करने पर या कार्य न कर पाने पर व्यक्ति को ठण्ड का अनुभव होता है! और शरीर ठंडा होने लगता है! पिच्युट्री ग्रंथी TSH स्धिक मात्रा में उत्पन्न होने लगता है! सामान्य व्यक्ति के शरीर में थाइरोइड ग्रंथिया T4 हार्मोन का स्राव करके शरीर का तापमान सामान्य कर देती है जो मौसम के अनुसार शरीर का तापमान ठंडा और गरम रखती है! ठण्ड अधिक होने पर TSH अधिक और गर्मी अधिक होने पर TSH घट जाता है!
*More ratio in females
अधिक तनाव व अवसाद होने पर महिला इस रोग की गिरफ्त में आसानी से आ जाती है, रिपोर्ट के अनुसार 100 में से 70% महिलाये इस रोग से पीड़ित होती है! लेकिन अधिकतर को पता नहीं चल पता के वे इस बीमारी से पीड़ित है! लापरवाही बरतने पर मोटापा, डिप्रेशन, अवसाद, बाझपन, जैसी अनेक समस्याए हो जाती हैइसलिए हर पाच साल में कम से कम एक बार महिलाओं की अपनी जाँच करते रहना चाहिए!
लाभदायक आसन
उज्जयी आसन जरूर करे, कम से कम रोजाना 1 बार अवश्य करें से लाभ हो सकता है, लम्बे समय तक करने से इससे अद्भुत लाभ होते देखे गए है, उज्जायी आसन से थाइरोइड पूरी तरह जड़ से ख़तम हो सकता है, इसे आप नियमित रूप से जीवन का हिस्सा बना ले.अवश्य लाभान्वित होंगे!
दिनचर्या संतुलित योग युक्त हो
किसी भी व्यक्ति को अपना जीवन संयमित रखना चाहिए और योग अवश्य करने से बहूत लाभ होता है, योग के जरिये थाइरोइड ग्रंथि की परेशानिया ठीक हो सकती है इससे ये ग्रंथि सक्रीय हो कर सुचारू रूप से कार्य करती है!
* अपना वजन न बढ़ने दे
* सोते हुए या लेते हुए भोजन न करे और न ही tv, कंप्यूटर इत्यादी चलाये,
* आजकल लोग मोबाइल का इस्तेमाल बहूत अधिक करने लगे है लगातार लम्बे समय टेक इसका इस्तेमाल करने पर ये समस्या गंभीर रूप से बढ़ सकती है,
* कोशिस करे के तकिया न लगाए और लगाना ही चाहते है तो बेहद पतली तकिया इस्तेमाल करें, जिससे गर्दन सीदे ही रहे
* हमेशा नींद पूरी ले
* आप एक्यूप्रेशर ट्रीटमेंट का भी इस्तेमाल कर सकते है
खान पान
* थाइरोइड के रोगी कोखाने में आयोडीन युक्त भोजन करना चाहिए! आयोडीन नमक के अलावा समुद्री मछली और समुद्री जीवो और समुद्री शेवाल भी अच्छा स्त्रोत है इनसे आप आयोडीन भोजन प्राप्त कर सकते है!
* हरी साग-सब्जियाँ व पत्तेदार ताजी सब्जिया अधिक खाएं, हरी मिर्च, धनिया, प्याज, लहसुन टमाटर, बहुत फायदेमंद होती है!
* विटामिन डी (Vitamin D) युक्त पदार्थ; दूध, गाजर, अंडे, समुद्री मछली, मशरूम का प्रयोग करे!
* अखरोट, बादाम, सूरजमुखी के बीज, सूखे मेवे खाने चाहिए ये फायदेमंद होते है!
* नारियल, दही, गाय का दूध, नारियल तेल, पनीर भी अच्छा व लाभकारी होता है!
* अखरोट है फायदे मंद
अखरोट में सेलेनियम नामक तत्व पाया जाता है जो थॉयराइड की समस्या के उपचार में फायदेमंद है। 1 आंउस अखरोट में 5 माइक्रोग्राम सेलेनियम होता है। अखरोट के सेवन से थॉयराइड के कारण गले में होने वाली सूजन को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है। अखरोट सबसे अधिक फायदा हाइपोथॉयराइडिज्म (थॉयराइड ग्रंथि का कम एक्टिव होना) में करता है।
थॉयराइड ग्रंथि में सेलीनियम उच्च सांद्रता में पाया जाता है इसे थायराइड-सुपर-न्युट्रीएंट भी कहा जाता है। यह थॉयराइड से सम्बंधित अधिकांश एंजाइम्स का एक प्रमुख घटक द्रव्य है, इसके सेवन से थॉयराइड ग्रंथि सही तरीके से काम करने लगता है। यह ऐसा आवश्यक सूक्ष्म तत्व है जिस पर शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता सहित प्रजनन आदि अनेक क्षमतायें भी निर्भर करती है। यानी अगर शरीर में इस तत्व की कमी हो गई तो रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। इसलिए खाने में पर्याप्त मात्रा में सेलेनियम के सेवन की सलाह दी जाती है। अखरोट के अलावा सेलेनियम बादाम में भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
थॉयराइड ग्रंथि की समस्या होने पर नमक का सेवन बढ़ा देना चाहिए, इसके अलावा स्वस्थ खानपान और नियमित रूप से व्यायाम को अपनी दिनचर्या बनायें।
Yoga is the best medicine
योग के जरिए भी थायराइड से बचा जा सकता है। खासकर कपालभाती करने से थायराइड की समस्या से निजात पाया जा सकता है।
► कपालभाति क्रिया
थायरॉइड डिसऑर्डर होने पर कपालभाति क्रिया के तीन राउंड पांच मिनट तक करें। उज्जयिनी प्राणायाम 15 से 20 बार दोहराएं। गर्दन की सूक्ष्म क्रियाएं करें, जिसमें गर्दन को आगे-पीछे और लेफ्ट-राइट घुमाएं।
लेटकर सेतुबंध, सर्वांग और हलासन, उलटा लेटकर भुजंग और बैठकर उष्ट्रासन, जालंधर बंध आसन करें। सभी आसन 2 से 3 बार दोहराएं।
*सर्जरी
ज्यादातर मामलों में थायराइड या इसके संक्रमति भाग को निकालने की सर्जरी की जाती है, बाद में बची हुई कोशिकाओं को नष्ट करने या दोबारा इस समस्या के होने पर रेडियोएक्टिव आयोडीन उपचार किया जाता है। थायराइड को सर्जरी के माध्यम से हटाते हैं और उसकी जगह मरीज को हमेशा थायराइड रिप्लेसमेंट हार्मोन लेना पड़ता है। कई बार केवल उन गांठों को भी हटाया जाता है जिनमें कैंसर मौजूद है। जबकि दोबारा होने पर रेडियोएक्टिव आयोडीन उपचार के तहत आयोडीन की मात्रा से उपचार किया जाता है। सर्जरी के बाद रेडियोएक्टिव आयोडीन की खुराक मरीज के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि यह कैंसर की सूक्ष्म कोशिकाओं को मार देती है। इसके अलावा, ल्यूटेटियम ऑक्ट्रियोटाइड उपचार से भी इसका इलाज किया जाता है। थायरॉइड ग्रंथि से कितने कम या ज्यादा मात्रा में हार्मोन्स निकल रहे हैं, यह खून की जांच से पता लगाया जाता है। खून की जांच तीन तरह से की जाती है, टी-3, टी-4 और टीएसएच से। इसमें हार्मोन्स के स्तर का पता लगाया जाता है। मरीज की स्थिति देखकर डॉक्टर तय करते हैं कि उसको कितनी मात्रा में दवा की खुराक दी जाए। हायपरथायरॉइड के मरीजों को थायरॉइड हार्मोन्स को ब्लॉक करने के लिए
अलग किस्म की दवा दी जाती है। हाइपोथायरॉयडिज्म का इलाज करने के लिए आरंभ में ऐल-थायरॉक्सीन सोडियम का इस्तेमाल किया जाता है, जो थायरॉइड हार्मोन्स के स्त्राव को नियंत्रित करता है। तकरीबन
90 प्रतिशत मामलों में दवा ताउम्र खानी पड़ती है। पहली ही स्टेज पर इस बीमारी का इलाज करा लिया जाए तो रोगी की दिनचर्या आसान हो जाती है।
कैफीन और शुगर
इस बीमारी के निदान के बाद कैफीन और शुगर की मात्रा एकदम से कम कर दें। इसके अलावा ऐसे खाद्य पदार्थों की मात्रा भी घटा दें जो शरीर के लिए शुगर की तरह काम करते हैं। खाने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ा दें। शरीर के अंदर प्रोटीन ही थायराइड हार्मोन को ढोकर ऊतकों तक पहुंचाते हैं। खाने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाकर थायराइड की कार्यप्रणाली को सामान्य किया जा सकता है।
फल और सब्जियां
फल और सब्जियां एंटीऑक्सीडेंट्स का प्राथमिक स्रोत होती हैं, जो शरीर को रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। सब्जियों में पाया जाने वाला फाइबर पाचन प्रक्रिया को मजबूत बनाता है। हरी पत्तेदार सब्जियों थायरॉयड ग्रंथि के लिए लाभकारी होती हैं। हाइपरथायराइडिज्म के कारण हड्डियों को पतली और कमजोर होने से बचाने के लिए हरी और पत्तेदार सब्जियां खानी चाहिए। इनके सेवन से विटामिन- डी और कैल्शियम मिलता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। लाल और हरी मिर्च, टमाटर और ब्लूबेरी शरीर को बड़ी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करते हैं। साथ ही रोगी को फलों का सेवन भी करना चाहिए।
नारियल तेल
थायराइड के मरीजों को नारियल तेल का सेवन करने की सलाह दी जाती है। हालांकि यह एक स्वस्थ विकल्प हो सकता है, लेकिन यह थायराइड की बीमारी के लिए इलाज नहीं है। लेकिन यह अपने आहार में अतिरिक्त वसा और तेल को बदलने के लिए सिर्फ एक थायराइड के अनुकूल विकल्प जरूर है।
कॉड लिवर तेल
कॉड लिवर ऑयल में विटामिन "ए" बड़ी मात्रा में होता है। विटामिन "ए" थायराइड ग्रंथि को सही तरीके से काम करने में मदद करता है।
अंडे
अंडे में विटामिन "ए" के साथ-साथ आयोडीन की भी बहुत मात्रा होती है। इसके अलावा, अंडे में प्रोटीन भी प्रचुर मात्रा में होता है। प्राकृतिक एमिनो एसिड के जरिए प्रोटिन आपके थायरायड के लिए बहुत अच्छा होता है।
समुद्री भोजन
ग्रीन सी फूड, प्राकृतिक आयोडीन का सबसे अच्छा स्रोत है। समुद्र की सब्जियां जैसे सागर सिवार, दुल्चे और वास्तविक मछली शोरबा विशेष रूप से पौष्टिक होते हैं और थायराइड के लिए अच्छे होते है।
दूध और दही
दूध और दही में विटामिन, खनिज, कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। दही खाने से शरीर की प्रतिरक्षा भी बढ़ती है। दूध और दही आदि का सेवन थायराइड रोगियों के लिए काफी मददगार होता है।
दुग्ध, दही में विटामिन, खनिज, कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। दही खाने से शरीर की प्रतिरक्षा भी बढ़ती है। दूध और दही आदि का सेवन थायराइड रोगियों के लिए काफी मददगार होता है।
थायराइड में मछली फायदेमंद होती है। समुद्री मछली में आयोडीन काफी मात्रा में पाया जाता है। समुद्री मछलियों जैसे, झींगा शैलफिश आदि में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है। इसके अलावा ट्यूना, सामन, मैकेरल, सार्डिन, हलिबेट आदि मछलियों में ओमेगा 3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में होता है, जो थाइराइड में लाभदायक होता है।
थाइरोइड की समस्या से निजात पाने के लिए अदरक का भी इस्तेमाल कर सकते है | अदरक का प्रयोग मुहं और गले से सम्बन्ध्ति लगभग हर रोग में किया जाता है | इसका कारण इसमें मिलने वाले इंफ्लेमेटरी तत्व होते है | इसके साथ ही अदरक में पोटैशियम, मैग्नीशियम की मात्रा भी अधिक होती है | जो गले के रोगों को दूर करने में सहायक होती है |
सनफ्लॉवर सीड
सनफ्लॉवर सीड को भूनकर हररोज सेवन करने से थायराइड होने कीआशंका काम हो जाती है सनफ्लॉवर सीड का सुबह -शाम एक एक चम्मच सेवन करना है |
लोकी का जूस
लोकी की सब्जी लगभग ज्यादा लोगो को पसंद नही होती लेकिन इसका ओषधि के रूप में प्रयोग करके बहुत फायदा मिलता है हर रोज सुबह खाली पेट लोकी का जूस सेवन करने से थायराइड में आराम मिलता है हमे इस बात का ध्यान रखना चाहिए की लोकी के जूस का सेवन करने के बाद आधे घंटे तक कुछ भी नही खाना चाहिए दोस्तों ये थे हमारे कुछ टिप्स जिनको इस्तेमाल करके आप काफी हद तक थायराइड को कण्ट्रोल में रख सकते है समाज हित में इस विडियो को अधिक से अधिक शेयर करें ताकि इस जान कारी से सभी लोग अपने लिए फायदा उठा सके |
टय्रोसिन food supplements
टय्रोसिन एक एमिनो एसिड है जो थायराइड हार्मोन और न्यूरोट्रांसमीटर के कार्य में महत्वपूर्ण होता है। थायराइड होने पर टय्रोसिन की कमी हो जाती है। इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थ लेने चाहिए जो टय्रोसिन से भरपूर हो ऐसे कुछ खाद्य पदार्थ है, टर्की, चिकन स्तन, मछली, डेयरी उत्पाद, गेहूं और जई, बादाम, लाइमा बीन्स, दाल, केले, कद्दू के बीज और तिल के बीज।
जिंक और कॉपर फूड्स
थायराइड में हार्मोन बनाना बहुत महत्वपूर्ण होता है, और इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने में जिंक बहुत मदद करता हैं। इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थ लेने चाहिए जो है जो जिंक से भ्ारपूर हो। फ्री रेंज मांस और चिकन जिंक का एक अच्छा स्रोत हैं। दलिया, गेहूं रोगाणु, गेहूं की भूसी, बीज, कॉपर भरपूर पदार्थ अंडे, पागल, किशमिश, फलियां और खमीर आदि भी शामिल हैं।
रेडियोएक्टिव आयोडीन ट्रीटमेंट
थाइराइड के मरीज को रेडियोएक्टिव आयोडीन दवाई गोली या लिक्विड के द्वारा दिया जाता है। इस उपचार के द्वारा थाइराइड की ज्यादा सक्रिय ग्रंथि को काटकर अलग किया जाता है। इसमें जो आयोडीन दिया जाता है वह आयोडीन स्कैन से अलग होता है। रेडियोएक्टिव आयोडीन को लगातार आयोडनी स्कैन चेकअप के बाद दिया जाता है और आयोडीन हाइपरथाइराइजिड्म के पहचान की पुष्टि करता है। रेडियोएक्टिव आयोडीन थाइराइड की कोशिकाओं को समाप्त करते हैं। इस थेरेपी से शरीर को कोई भी साइड-इफेक्ट नहीं होता है। रेडियोएक्टिव आयोडीन 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में भी सुरक्षित तरीके से प्रयोग किया जा सकता है। प्रेग्नेंसी में रेडियोएक्टिव आयोडीन ट्रीटमेंट का इलाज नहीं किया जाता है इससे मां और बच्चे को नुकसान हो सकता है। दिल के मरीजों के लिए यह उपचार बहुत ही सुरक्षित होता है। इस थेरेपी से 8-12 महीने में थाइराइड की समस्या समाप्त हो जाती है। सामान्यतया 80 प्रतिशत तक थाइराइड के मरीजों को रेडियोएक्टिव आयोडीन के एक ही खुराक से उपचार हो जाता है। लेकिन थाइराइड की समस्या गंभीर होने पर इसके इलाज में कम से कम 6 महीने तक लग सकते हैं।
HYPOTHYROIDISM (समान-वायु-क्षय, धात्वाग्निमांद्य):
ब्राह्मी, गुग्गुलु, गाण्डीर, पिप्पली, रक्त-मरिच (Thyrin Tab), विडंग, चतुरुष्ण, काञ्चनार।
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