"Home Remedies for CONSTIPATION Relief" कब्ज का परिचय, लक्षण, कारण, परहेज, भोजन सेवन, योगासन, 43 अनोखे प्राकृतिक इलाज #पुरानी से पुरानी कब्ज का इलाज " Ayurvedic Treatment of chronic constipation

कब्ज क्या है!!! 
 कब्ज एक ऐसी स्थिति है जिसमे व्यक्ति का पेट ठीक से साफ नहीं होता है और मल त्याग करते समय कष्ट भी होता है। कब्ज से पीड़ित व्यक्ति आम लोगों की तुलना में कम बार शौच करता है। जहाँ आम तौर पर लोग दिन में कम से कम एक बार शौच करते हैं वहीँ  कांस्टीपेशन का मरीज ३ या उससे भी ज्यादा दिनों तक मॉल त्याग नहीं कर पाता। इस कारण से उसका पेट भार-भारी रहता है और भोजन में भी अरुचि हो जाती है। कब्ज के कारण कुछ लोगों को उल्टी भी हो जाती है और सर में दर्द भी बना रहता है।

कब्ज के लक्षण क्या-क्या हैं?
 *ठीक से मल त्याग ना होना या पेट ना साफ़ होना
 *मल त्याग करने में तकलीफ होना। 
*स्टूल (टट्टी/मल) का बहुत हार्ड और कम मात्रा में होना
*बार-बार ऐसा लगना कि अभी थोड़ा और मल त्याग करना चाहिए। 
*पेट में सूजन या दर्द होनाउल्टी होना। 
    

कारण 
* भोजन ग्रहण करने में अनियमितता |
* बासी भोजन करना |
* अति विश्राम / कम शारीरिक श्रम |
* मानसिक तनाव / टेंशन |
* अधिक चिकनाई वाला भोजन |
* आंतों की कमजोरी |
* पानी कम पीना तथा खाने को ठीक से चबा-चबा कर ना खाना |
* अधिक चाय, कॉफी, तंबाकू, सिगरेट शराब आदि का सेवन |
* खाना खाते समय अधिक जल ग्रहण करना |
* स्वभाव में अधिक उग्रता |
* गरम मसाले वाले तथा अधिक तैलीय खाना खाना |
* व्यायाम बिल्कुल न करना आराम पसंद लाइफ स्टाइल। 
* खाना खाने के तुरंत बाद में फ्रिज का ठंडा पानी पीना|
* रात में देर से खाना, खाना खाते ही बिस्तर पर लेटकर सोना |


1. कब्ज पैदा करने वाले कारणों में वक्त-बेवक्त भोजन करने की आदत, नियमित रूप से निर्धारित समय पर भोजन न करना
2. गरिष्ठ, तले हुए मैदे के व्यंजन, तेज मिर्च-मसालेदार चटपटे भोजन, ठीक से चबाए बिना बार-बार भोजन करना ।
3. लगातार पेनकिलर्स या नॉरकोटिस या दर्द निवारक दवाएं खाने वाले भी कब्ज का शिकार हो जाते हैं। यदि ऐसी दवाओं को रोक दिया जाए तो कब्ज ठीक हो जाएगी।
4. कई बार हॉरमोंस की गडबडी, थाइरॉयड या शुगर की बीमारी भी कब्ज का कारण बन जाती है।
5. पहले का भोजन हजम हुए बिना फिर से भोजन खाना ।
6. पानी कम पीना तथा खाने को ठीक से चबा-चबा कर ना खाना ।
7. मानसिक तनाव, चिंता, क्रोध या शोक की अवस्था में भोजन करना, भोजन में रेशेदार आहार (Low Fiber Food) की कमी ।
8. अधिक चाय, कॉफी, तंबाकू, सिगरेट शराब आदि का सेवन ।
9. व्यायाम बिल्कुल न करना आराम पसंद लाइफ स्टाइल ।
10. खाना खाने के तुरंत बाद में फ्रिज का ठंडा पानी पीना ।
11. रात में देर से खाना, खाना खाते ही बिस्तर पर लेटकर सोना ।
    
कब्ज दूर करने के लिए क्या खाए!!! 
कब्ज में सही खान पान जानकारी भी बहुत जरुरी है , दवा कितनी भी महंगी और असरदार क्यों न हो जब तक सही खानपान का पालन नहीं किया जाएगा सब बेकार ही सिद्ध होगा।

1. गेहूं का आटा 2 भाग और चने का आटा 1 भाग को मिलाकर बनाई गई मिस्सी रोटी, मोटे पिसे हुए आटे की रोटी, चोकरयुक्त आटे की रोटी, दलिया, भुना हुआ चना, बथुआ, मैथी, टमाटर, पालक व पालक का रस पानी मिलाकर, मक्खन, दूध व दूध के साथ भिगोई हुई मुनक्का, खजूर या अंजीर, रेशेदार साग-सब्जियां आदि।
2. उड़द की छोड़कर सभी साबुत यानी छिलके वाली दालें।
3. खाद्य पदार्थ जहां तक हो सके, प्राकृतिक रूप में ही सेवन करें।
4. अंकुरित अनाज को प्राथमिकता दें। गेहूं के पौधे का रस पिएं।
5. रोजाना सेब, अंगूर या पपीता खाने से कब्ज का निवारण होता है। कच्चा या पक्का पपीता खाना फायदेमंद है।
6. रोजाना भोजन के साथ गाजर, मूली, प्याज, टमाटर, खीरा व चुकंदर का सलाद बनाकर, नीबू का रस और सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से कब्ज का निवारण होता है।
7. कब्ज से पीड़ित रहने वाले स्त्री-पुरुषों को रोजाना पालक, मेथी, बथुआ या चौलाई की सब्जी खाने से कब्ज से मुक्ति मिलती है।
8. गाजर या संतरे का रस पियें इन रसों का दो-तीन दिन तक अवश्य सेवन करना चाहिए।
9. गेहूं, चना, जो आदि की चोकर सहित मोटी रोटी चबा-चबा कर खाएं।
10. भोजन में दलिया, खिचड़ी, मूंग, अरहर की दाल की मात्रा बढ़ाएं।
11. फलों में केले, सेब, अनार, अमरूद, पपीता, आम, खरबूजा तथा सूखे मेवों में मुनक्का, अंजीर, किशमिश, बादाम आदि का सेवन करें।
12. कच्चा केले के सेवन से कब्ज दूर होती है। कच्चा केला आंतो को साफ करता है।
13. भोजन में रोटी से अधिक हरी-सब्जियों का सेवन करें।
14. ककड़ी, शलगम, गाजर, मूली, पालक, मेथी, पता गोभी, बथुआ, प्याज के छोटे-छोटे टुकड़े कर नीबू का रस मिलाकर सलाद की तरह नियमित खाएं।
15. खाने के साथ टमाटर का सलाद जरुर लें |
16. रात में सोते समय गर्म मीठा दूध मुनक्के के साथ सेवन करें।
17. दोपहर के भोजन के बीच में और अंत में थोड़ा-थोड़ा छाछ पिएं।
18. पेय पदार्थ जैसे शर्बत, सूप, लस्सी, मट्ठा, पानी का अधिक सेवन करें।
19. हल्के गर्म पानी में एक नींबू का रस मिलकर पियें |

परहेज 
1. पतले पिसे सादे गेहूं के आटे की रोटियां कम-से-कम खाएं। मोटा पिसा हुआ, बिना छना हुआ मिसी के आटे की चपातियाँ ही खाएं |
2. मैदा तथा मैदा से बने हुए खाद्य पदार्थ जैसे नान , सफेद ब्रेड, पिज़्ज़ा, बर्गर, चाउमीन, तले-भुने हुए खाद्य पदार्थ, अधिक मिर्च-मसाले युक्त खाना, मछली, अंडे, आदि |
3. मीट, अंडा व मछली कब्ज करती हैं। इन्हें दूसरी सब्जियों के साथ मिलाकर खाएं।
4. चावल कम खाएं |
5. केला, सेब, प्याज, मूली, दही आदि रात्रि के भोजन में न खाएं।
6. प्रोसेस्ड फूड में चीनी तथा सोडियम की मात्रा बेहद अधिक होती है और वहीं फाइबर बहुत ही कम होता है।
7. भोजन के पहले , बीच में या आखिर में एक ही बार में अधिक मात्रा में पानी न पिएं।
8. फास्ट फूड, जंक फूड यानी मैदे आदि से बनी चीजों से परहेज करें।
    
कब्ज दूर करने के लिए 43 अनोखे प्राकृतिक उपाय 
 1. त्रिफला चूर्ण दो चम्मच हल्के गरम पानी में घोल कर नित्य रात्रि में सोते समय लेने से कब्ज की तकलीफ में तुरंत राहत मिलती है।
2. थोड़े गरम दूध या पानी के साथ हरड़, बहेड़ा, और आंवला का समान मात्रा में तैयार किया हुआ चूर्ण रात्री में सोने के पहले रोज लेने से कब्ज की बीमारी दूर होती है।
3. कब्ज़ की तकलीफ दूर करने के लिए मुनक्का एक असरदार उपाय है।
 4. आठ से दस मुनक्का गरम दूध में उबाल कर नित्य सेवन करने से पेट को राहत मिलती है। और मल सरलता से त्याग हो जाता है।
5. पपीता पेट ठीक करने में काफी लाभदायक होता है।
6. सेब तथा अंगूर खाने से भी पेट साफ आता है।
7.  सेब का ज्यूस काफी उपयोगी होता है। सेब का ज्यूस पीने से आंतों की अंदरूनी सतह पर बदबू और संकमण नाशक परत का सर्जन हो जाता है। और सेब का नित्य सेवन अन्य कई बीमारियों से रक्षण प्रदान करता है।
8. आंवला का चूर्ण कब्ज़ को जड़ से मिटा देता है। आंवला का चूर्ण रात्री में सोने से पहले अति गुणकारी है।
9. आंवला कई तरह से ग्रहण किया जा सकता है। आप इसका जूस पी सकते हैं। आंवला को सूखा कर चूर्ण बनाया जा सकता है। और आंवला की चटनी भी बना कर खायी जा सकती है।
10. आंवला के मुरब्बे को खाने के बाद ऊपर दूध पीने से कब्ज में राहत हो जाती है।
11. टमाटर खाने से भी कब्ज़ खत्म हो जाता है। खाने के साथ सलाद में कच्चा टमाटर खाना लाभदायी होता है।टमाटर का सूप भी पिया जा सकता है। टमाटर जिद्दी आंतों में जमे पुराने मल को साफ करने का सटीक उपाय है।
12. बैंगन की सब्जी, चोलाई की सब्जी, पालक की सब्जी, आम, चने, दूध और शहद का मिश्रण मल त्याग वृति को सरल बनाता है।
13. आम का रस निकाल कर पीना उत्तम होता है और उसके ऊपर हल्का गरम दूध भी पीना चाहिए।
14. तांबे के बर्तन में एक चुटकी नमक डाल कर पानी रात भर ढक कर रख कर सुबह में उस पानी को पीने से कब्ज में राहत हो जाती है।
15. हल्के गरम गुनगुने पानी में चुटकी भर नमक मिला कर सोने से पूर्व पीने से भी आंते साफ रहती है। और अशुद्ध जमा हुआ मल शौच के समय आसानी से निकल जाता है।
16. एक चम्मच अरंडे का तेल जीभ पर नमक लगा कर रात को पी जाने / निगल जाने से मल साफ आता है।
17. गिलोय का गुड मिश्रित चूर्ण कब्ज़ में राहत देता है।
18. सब्जी पकाते समय उसमे लहसुन का प्रयोग करने से कब्ज की सम्भावना कम हो जाती है। लहसुन पाचन शक्ति वर्धक और गैस का शत्रु है। इसलिए लहसुन का सेवन नित्य करना चाहिए।
19. गाजर का रस निकाल कर पीना कब्ज में लाभदायक है।
20. काकजंघा और घी का मिश्रण नित्य पीने से उदर रोगों का नाश होता है।
21. पका हुआ लाल खरबूजा और तरबूज पेट को साफ करने में मदद करता है।
22. बथुआ की सब्जी शक्ति वर्धक और कब्ज नासक बताई गयी है।
23. मसूर की दाल कब्ज़ में राहत देती है।
24. मूंग और चावल की ढीली गरम खिचड़ी खाने से भी पेट साफ आता है।
25. पीपल के पत्तों क काढ़ा पीने से भी कब्ज मिटता है। पीपल के लाल चटक फल खाने से भी कब्ज में राहत मिलती है।
26. कब्ज़ में दहीं क सेवन भी फायदेमंद रहता है।
27. गाय का दूध पीने से भी कब्ज मिटताहै।दूध में काली मिर्च के तीन से पाँच दाने मिला कर साबुत निगल जाने से भी कब्ज दूर होता है।
28. दूध में गुलकंद मिला कर, या दूध में मुनक्का मिला कर पीने से भी कब्ज खत्म हो जाता है।
29. नीम कड़वा होता है और संक्रमण नाशक होता है। नीम के फूलों को सूखा कर पीस कर उसका चूर्ण बनाना चाहिए और उसे नित्य सोते समय पानी के साथ लेना चाहिए।
30. करेले के रस में सेधानमक नमक और जीरा मिला कर पीने से भी कब्ज रोग में राहत होती है।
31. कच्चे शलगम खाने से भी पेट साफ आता है।
32. धनिया कब्ज तोड़ने में मदद करता है धनिये की चटनी भी लाभदायी होती है।
33. त्रिफला, अजवायन और सेधानमक क समान मात्रा वाला मिश्रण रात को सोते समय एक चम्मच गरम पानी के साथ रोज लेने से कब्ज में राहत हो जाती है।
34. अदरख, लौंग और सौंठ कब्ज़ मिटाने के राम बाण इलाज है।
 35. अदरख क रस शहद में मिला कर पीना लाभ दायी होता है।
36. सौंठ अजवायन और काला नमक समान मात्रा में मिश्रित कर के मिश्रण तयार कर लें और एक चम्मच सुबह और एक चमच सोने के पूर्व पानी के साथ लेना कब्ज मिटाता है।
37. लौंग अजवायन, काली मिर्च, लाहौरी नमक और मिश्री को समान मात्रा में निकाल कर पीस लें और उसमे नींबू निचोड़ कर सुखाने सुखाने के लिए रख दें। इस मिश्रण को गरम पानी के साथ लेने से पेट की तकलीफ़ों में राहत हो जाती है।
38. दूध और गुलकंद मिला कर पीने से कब्ज मिटता है।
39. नींबू अदरख और शहद क मिश्रित रस आंतों को साफ कर देता है। और कब्ज की शिकायत दूर करता है।
40. अमरूद खाने से कब्ज नहीं होता है। और अमरूद खाने के बाद ऊपर से दूध पीने से पुराने कब्ज की तकलीफ चुटकियों में दूर होती है।
41. सौंठ, दाल चीनी का तेल, इलाईची और और जीरा समान मात्रा में मिला कर पीना कब्ज में लाभदायी होता है।
42. दालचीनी क तेल और शक्कर / चीनी मिला कर पीने से भी कब्ज दूर होता है। यह चूर्ण अजीर्ण की तकलीफ में राहत देता है।
43. तुलसी के पत्ते, अनार, लीची, काजू, मटर, खीरा, बादाम, खजूर, पका केला दही के साथ, हींग, गेहूं के पौधे क रस, संतरा, मेथी, गौमूत्र, केसर, अंजीर, दूध और अंजीर, मूली का रस, मूली के हरे पत्ते, मूली के बीजो का चूर्ण और कच्चा प्याज आदि चीजें पाचन शक्ति अनुसार ग्रहण करने से कब्ज की तकलीफ दूर होती है।

    

कब्ज के लिए योगासन 
 कपालभाति प्राणायाम धीरे-धीरे एक बार में जितना कर सकें। ऐसे तीन से चार राउंड करने की सलाह दी जाती है। इसे करते समय आंखें बंद रखें और ध्यान पेट पर लगाएं। मन में यह भाव लाएं कि आंतों  की क्रियाशीलता बढ़ रही है और कब्ज दूर हो रहा है।
 अग्निसार क्रिया, उर्ध्व हस्तोत्तानासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, मंडूकासन और भस्त्रिका प्राणायाम।
 धनुरासन, उत्तानपाद, पश्चिमोत्तानासन, मत्स्यासन भी कब्ज दूर करने में सहायक होते हैं।
 कोई भी आसन तीन से चार बार कर सकते हैं। मगर गोल्डन रूल यही है कि योग अपनी शक्ति और सार्मथ्य के हिसाब से ही करें, जबरन नहीं। 
दो-तीन दिन में एक बार गुनगुने पानी की एनीमा लें।
 कुछ दिनों के अंतराल पर लघु शंखप्रक्षालन करते रहें। 

क्या होता है लघु शंखप्रक्षालन- सुबह खाली पेट नमक मिला गुनगुना पानी पीकर कुछ विशेष आसन करने होते हैं। उसके बाद मोशन के जरिए पेट की सफाई होने लगती है।
 
मुद्रा विज्ञान के जरिए इलाज
 अपान मुद्रा को एक से पचीस मिनट तक रोजाना करें। 

    
योगासन करने की प्रक्रिया 

कपालभाति प्राणायाम करने की प्रक्रिया
अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए, आराम से बैठ जाएँ। अपने हाथों को आकाश की तरफ, आराम से घुटनों पर रखें।
एक लंबी गहरी साँस अंदर लें।साँस छोड़ते हुए अपने पेट को अंदर की ओर खींचे।
 अपने पेट को इस प्रकार से अंदर खींचे की वह रीढ़ की हड्डी को छू ले। जितना हो सके उतना ही करें। पेट की मासपेशियों के सिकुड़ने को आप अपने पेट पर हाथ रख कर महसूस कर सकते हैं। नाभि को अंदर की ओर खींचे।
जैसे ही आप पेट की मासपेशियों को ढीला छोड़ते हो, साँस अपने आप ही आपके फेफड़ों में पहुँच जाती है।कपालभाति प्राणायाम के एक क्रम (राउंड) को पूरा करने के लिए २० साँस छोड़े।
एक राउंड खत्म होने के पश्चात, विश्राम करें और अपनी आँखों को बंद कर लें। अपने शरीर में प्राणायाम से प्रकट हुई उत्तेजना को महसूस करें।
कपालभाति प्राणायाम के दो और क्रम (राउंड) को पूरा करें।
 
अग्निसार क्रिया की विधि
सबसे पहले आप खड़े हो जाए और अपने पैरों के बीच मैं आधा फूट का अंतर रखें।
अब आप अपने शरीर के ऊपरी भाग को 60 डिग्री पर झुकाएं तथा हाथों को घुटने पर रखें।
सांस लें और सांस छोड़े।अब आप लंबी गहरी सांस छोड़े और सांस को रोकें।सांस को रोकते हुए आप अपने पेट को आगे पीछे करें।
पेट को आप इस तरह से आगे पीछे करते हैं कि पेट की मांसपेशियों में दर्द होने लगे।
जब आप सांस रोक न पाये तो रुक जाएं आराम करें।फिर से इसी क्रिया को दुहरायें।
इस तरह से आप शुरुवाती दौड़ में 10 से 15 बार करें।
अग्निसार को आप बैठ कर भी कर सकते हैं। आप किसी भी ध्यान मुद्रा में बैठ जायें। अगर ध्यान मुद्रा में बैठने में परेशानी हो तो आप अपने हिसाब से बैठे। इसमें आप को आगे झुकने की जरूरत नहीं है, आप सीधा रहें और ऊपर बताये गए विधि का अनुसरण करें।

हस्तोसत्ताहनासन योग विधि
सबसे पहले आप पैर आपस में जोड़कर जमीन पर खड़े हो जाएं।आप ताड़ासन में भी खड़े हो सकते हैं।
सांस लेते हुए हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं और अंगुलियों को आपस में जोड़ लें।
ध्यान रहे आपके हाथ आपके सिर से सटा होना चाहिए। ऐसा होने पर उदर के बगल वाले भाग में आप ज़्यदा खिंचाव महसूस करेंगे और साथ ही साथ आपको लाभ भी अधिक मिलेगा।
सांस छोड़ते हुए कमर से बाईं ओर झुक जाएं।कुछ समय इसी मुद्रा में रहें और धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े।
फिर सांस लेते हुए वापस अपनी पहली अवस्था में आ जाएं।इसी प्रक्रिया को दाईं ओर से दोहराएं।यह एक चक्र हुआ।
इस तरह से आप पहले पहले तीन चक्र करें और फिर धीरे धीरे इसको बढ़ाते जाएं।


पवनमुक्तासन विधि  
सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं।
दोनों पैरों को फैलाएं और इनके बीच की दुरी को कम करें।
अब दोनों पांव उठाएं घुटने मोड़ें।घुटनों को बांहों से घेर लें।
सांस छोड़े, घुटनों को दबाते हुए छाती की ओर लाएं। सिर उठाएं तथा घुटनों को छाती के निकट लाएं जिससे ठोड़ी घुटनों को स्पर्श करने लगे।
जहाँ’ तक सम्भव हो सके इस मुद्रा को मेन्टेन करें।फिर सांस लेते हुए पैरों को जमीन पर लेकर आएं।यह एक चक्र हुआ।
इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।


भुजंगासन योग कैसे करे
आप सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं।
अब अपने हथेली को कंधे के सीध में लाएं।
दोनों पैरों के बीच की दुरी को कम करें और पैरों को सीधा एवं तना हुआ रखें।
अब साँस लेते हुए शरीर के अगले भाग को नाभि तक उठाएं।
ध्यान रहे की कमर पर ज़्यदा खिंचाव न आये।अपने हिसाब से इस आसान को बनाए रखें।
योगाभ्यास को धारण करते समय धीरे धीरे स्वाँस लें और धीरे धीरे स्वाँस छोड़े।
जब अपनी पहली अवस्था में आना हो तो गहरी स्वाँस छोडते हुए प्रारम्भिक अवस्था में आएं।इस तरह से एक चक्र पूरा हुआ।
शुरुवाती दौर में इसे 3 से 4 बार करें।धीरे धीरे योग का धारण समय एवं चक्र की नंबर को बढ़ाएं।

मंडूकासन योग विधि
सबसे पहले आप वज्रासन में बैठ जाएं।
अब आप मुठ्ठी बांधएं और इसे आपने नाभि के पास लेकर आएं।
मुट्ठी को नाभि एवं जांघ के पास ऐसे रखें कि मुट्ठी खड़ी हो और ऊँगलियाँ आपके उदर के तरफ हो।
सांस छोड़ते हुए आगे झुकें, छाती को इस प्रकार नीचे लाएं कि वह जांघों पर टिकी रहे।
आप इस तरह से आगे झुकें कि नाभि पर ज़्यदा से ज़्यदा दबाब आए।
सिर और गर्दन उठाए रखें, दृष्टि सामने रखें।धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े और यथासंभव इस स्थिति को बनाये रखें।
फिर सांस लेते हुए अपनी सामान्य अवस्था में आएं और आराम करें।यह एक चक्र हुआ।
आप शुरुवाती दौड़ में इसे 3-5 बार कर सकते हैं।


भस्त्रिका प्राणायाम विधि 
सबसे पहले आप पद्मासन में बैठ जाए। अगर पद्मासन में न बैठ पाये तो किसी आराम अवस्था में बैठें लेकिन ध्यान रहे आपकी शरीर, गर्दन और सिर सीधा हो।
शुरू शुरू में धीरे धीरे सांस लें।और इस सांस को बलपूर्वक छोड़े।अब बलपूर्वक सांस लें और बलपूर्वक सांस छोड़े।
यह क्रिया लोहार की धौंकनी की तरह फुलाते और पिचकाते हुए होना चाहिए।
इस तरह से तेजी के साथ 10 बार बलपूर्वक श्वास लें और छोड़ें।इस अभ्यास के दौरान आपकी ध्वनि साँप की हिसिंग की तरह होनी चाहिए।
10 बार श्वसन के पश्चात, अंत में श्वास छोड़ने के बाद यथासंभव गहरा श्वास लें। श्वास को रोककर (कुंभक) करें।फिर उसे धीरे-धीरे श्वास को छोड़े।
इस गहरे श्वास छोड़ने के बाद भस्त्रिका प्राणायाम का एक चक्र पूरा हुआ।
इस तरह से आप 10 चक्र करें।

धनुरासन योग की विधि
सबसे पहले आप पेट के बल लेट जाए।सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़े और अपने हाथ से टखनों को पकड़े।
सांस लेते हुए आप अपने सिर, चेस्ट एवं जांघ को ऊपर की ओर उठाएं।
अपने शरीर के लचीलापन के हिसाब से आप अपने शरीर को और ऊपर उठा सकते हैं।
शरीर के भार को पेट निचले हिस्से पर लेने की कोशिश करें।जब आप पूरी तरह से अपने शरीर को उठा लें तो पैरों के बीच की जगह को कम करने की कोशिश करें।
धीरे धीरे सांस ले और धीरे धीरे सांस छोड़े। अपने हिसाब से आसन को धारण करें।
जब आप मूल स्थिति में आना हो तो लम्बी गहरी सांस छोड़ते हुए नीचे आएं।
यह एक चक्र पूरा हुआ।इस तरह से आप 3-5 चक्र करने की कोशिश करें।

उत्तानपादासन विधि
जमीन पर आराम से लेट जाएं और पांव फैला लें।
 पैरों की बीच दुरी नहीं होनी चाहिए।
हाथ शरीर के निकट रखे रहने दें।
सांस लेते हुए पांवों को मोड़े बगैर धीरे-धीरे 30 डिग्री पर उठाएं।
धीरे धीरे सांस लें और फिर धीरे धीरे सांस छोड़े और इसी मुद्रा में रहें।
लम्बा सांस छोड़ते हुए दोनों पांव नीचे लाएं।यह चक्र हुआ।
इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।


पश्चिमोत्तानासन योग 
सबसे पहले आप जमीन पर बैठ जाएं।
अब आप दोनों पैरों को सामने फैलाएं।
पीठ की पेशियों को ढीला छोड़ दें।सांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर लेकर जाएं।
फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुके।आप कोशिश करते हैं
 अपने हाथ से उँगलियों को पकड़ने का और नाक को घुटने से सटाने का।
धीरे धीरे सांस लें, फिर धीरे धीरे सांस छोड़ेऔर अपने हिसाब से इस अभ्यास को धारण करें।
धीरे धीरे इस की अवधि को बढ़ाते रहे।यह एक चक्र हुआ।
इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।

मत्स्यासन योग विधि
साधक सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाएं।
धीरे-धीरे पीछे झुकें और पूरी तरह पीठ पर लेट जाएं।
बाएं पांव को दाएं हाथ से पकड़े और दाएं पांव को बाएं हाथ से पकड़ें।कोहनियों को जमीन पर टिका रहने दें।
घुटने जमीन से सटे होनी चाहिए
अब आप सांस लेते हुए अपने सिर को पीछे की ओर लेकर जाएं।
या हाथ के सहायता से भी आप अपने सिर को पीछे गर्दन की ओर कर सकते हैं।
धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े।इस अवस्था को अपने हिसाब से मेन्टेन करें।फिर लंबा सांस छोड़ते हुए अपने आरम्भिक अवस्था में आएं।यह एक चक्र हुआ।
इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।

लघु शंखप्रक्षालन विधि
सबसे पहले आप कागासन में बैठें तथा कम से कम तीन गिलास गुनगुना नमकीन पानी लें।
हठरत्नावली में नमकीन पानी के बजाय गुड़ से मीठे किए गए पानी, नारियल पानी अथवा दूध वाले पानी के प्रयोग का जिक्र मिलता है 
(1/50), जिसे गर्दन तक लेना चाहिए तथा अपनी सामर्थ्य के अनुसार पानी और वायु को रोकना चाहिए।
जब आप पानी पी ले तो तुरंत बाद ही नीचे दिए गए आसनों का अभ्यास करें और सही क्रम में करें।
सर्पासनहस्तेत्तानासनकटिचक्रासनउदराकर्षणासनऊपर दिए गए आसनों को चार-चार बार दोहराएं यानि आपको चार बार दाएं एवं चार बार बाएं झुकना है।
अपने हिसाब से एक बार फिर पानी पिये और ऊपर दिए गए आसनों को फिर से दो बार दोहराएं।
जैसे ही मल त्याग ने की इच्छा हो शौचालय से फ्री हुएं।
पहले ठोस, उसके बाद अर्द्धठोस मल आएगा और अंत में पीला पानी आएगा।
इसके बाद एक गिलास पानी और लें तथा चारों आसन तेजी से दोहराएं। इस बार शौच में केवल तरल पदार्थ आएगा।
पानी लेना तथा आसन दोहराना तब तक जारी रखें, जब तक शौच में साफ पानी न आने लगे।अंत में दो या तीन गिलास सादा गुनगुना पानी बिना नमक के लें तथा कुंजल क्रिया करें ताकि शौच से जारी पानी को रोका जा सके।

अपान मुद्रा को करने की विधि
1. सबसे पहले आप जमीन पर कोई चटाई बिछाकर उस पर पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएँ , ध्यान रहे की आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी हो ।
2- अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख लें और हथेलियाँ आकाश की तरफ होनी चाहिये ।
3- अब अपने हाथ की तर्जनी अंगुली को मोड़कर अंगूठे के अग्रभाग में लगा दें तथा मध्यमा व अनामिका अंगुली के प्रथम पोर को अंगूठे के प्रथम पोर से स्पर्श कर हल्का दबाएं और कनिष्ठिका अंगुली को सीधा रखें ।
4- अपना ध्यान साँसों पर लगाकर अभ्यास करना चाहिए। अभ्यास के दौरान साँसें को सामान्य रखना है।
5- इस अवस्था में कम से कम 48 मिनट तक रहना चाहिये ।
    


Natural इलाज : 1

प्राकृतिक चिकित्सा यानि (Naturopathy) पद्धति के अनुसार एक तरीका है जिसे ‘पानी चिकित्सा’ के नाम से जाना जाता हैं। इस पद्धति के अनुसार अलग-अलग तरह के रंगों का सूर्य की किरणों पानी तैयार कर रोगों का इलाज किया जाता है। अस्तु इसी पद्धति द्वारा तैयार ‘हरा पानी’ या हरा सूर्य तापित’ पानी कब्ज को दूर करने में काफी सफल हुआ है। इस हरे रंग के पानी का अर्थ यह है कि किसी हरे रंग की साफ बोतल (हरे कांच की बोतल ना होने पर साधारण सफेद कांच की बोतल पर हरे रंग का पारदर्शी कागज लपेटकर काम में ले सकते हैं) का तीन चौथाई भाग साधारण पानी से भरकर बोतल का मुंह एयर टाइट ढक्कन से अच्छी तरह से बंद करने के बाद 6 से 8 घंटे तक किसी लकड़ी की चौकी पर बोतल रखें। धूप में रखा हुआ ‘सूर्यतापित’ यानि Sun Charged Water किया हुआ पानी यद्यपि यह पानी हरे (ग्रीन) रंग का नहीं होता है पर ‘हरा पानी’ इसलिए कहलाता है कि हरी बोतल के पानी में सूर्य की किरणों के प्रभाव से हरे रंग के रोग निवारक गुण आ जाते हैं। जैसे-शरीर की गंदगी (विजातीय द्रव) बाहर निकालना और पुरानी से पुरानी कब्ज दूर करना, गुर्दे, आतों और त्वचा की कार्यप्रणाली सुधारना और इस प्रकार रक्त से दूषित पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता रस रक्तादि सप्तधातुओं का नेचुरल रूप से निर्माण करना तथा शरीर का ताप संतुलित रखना इत्यादि। ‘हरा पानी’ हर रोज तैयार करना चाहिए और अपने आप ही ठंडा हो जाने पर काम में लाना चाहिए।

इस हरे पानी के लेने से ‘साधारण प्रकार की कब्ज तो सिर्फ 3-4 दिन में ही ठीक हो जाती है। कब्ज दूर करने के लिए हरा पानी सुबह के समय उठते ही कुल्ला करने के बाद खाली पेट आधा से एक कप, दिन में और रात में खाना खाने से आधा घंटा पहले पी लें। इस प्रकर दिन में 3 बार कुछ दिनों तक इस पानी का सेवना करें उपर्युक्त विधि के अनुसार नारंगी यानि ऑरेंज कलर की बोतल में पानी बनाकर दिन में 2 बार -खाना खाने के बाद (15 मिनट के बाद) लेने करने से खाना अच्छी तरह आसानी से पच जाता है। हरे रंग के पानी से आखों को धोने से तथा इस पानी को आखों में डालने से अनेक प्रकार के आखों के रोग दर्द, लाल-लाल लाइने होने की बीमारी में भी लाभ होता है।
    

Natural ilaaj :2

नारंगी का रस पिए बहुत लाभ होंगे 
1. रोजाना सुबह के समय नाश्ते में नारंगी का रस कई दिन तक पीते रहने से मल प्राकृतिक रूप से आने लगता हैं तथा पाचनशक्ति बढ़ती हैं नारंगी का रस बेरी-बेरी रोग, स्कर्वी, जोड़ों का दर्द तथा शोथ में भी लाभप्रद होता हैं यह हृदय मस्तिष्क और यकृत को शक्ति और स्फूर्ति देता हैं

2. कब्ज के रोगी को इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता हैं की इसके रोजाना के प्रयोग से पेट पूरी तरह से साफ़ हो जाता हैं

3. और इसके रोजाना के सेवन से भविष्य में कभी कब्ज की शिकायत भी नहीं होती अभी भी ऐसे कई व्यक्ति हैं जो की आज भी नारंगी के रस के सहारे उपवास करते हैं क्योंकि इसमें ऐसे गुण पाए जाते हैं जो पाचन शक्ति को पूरी तरह से निरोगी व स्वस्थ बनाते हैं

3. अगर आप कब्ज की बीमारी से ज्यादा ही ग्रसित हैं तो सप्ताह में 2-3 दिन नारंगी के रस के सहारे उपवास जरूर करे यह कब्ज रोग के घरेलु इलाज में सबसे उत्तम हैं। 

► अलसी में कई चिकित्सीय गुण 
अलसी में कई चिकित्सीय गुण होते हैं जैसे इसमें काफी मात्रा में फाइबर और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स पाया जाता है। कब्ज की काफी सीरियस अवस्था हो जाने पर अलसी बहुत फायदा करती है।
1. 1 गिलास पानी में एक चम्मच अलसी के बीज डालकर कुछ घंटों के लिए रख दें। रोज सोने से पहले इस पानी को पियें। सुबह उठकर आपका मल त्याग काफी अच्छा होगा।

2. आप सिर्फ 2 या 3 चम्मच अलसी के बीजों को पानी के साथ खा भी सकते हैं। 
       

सेब भी कब्ज के इलाज में लाभ देगा 
1. रोजाना नियमित रूप से भूखे पेट सेब खाने से क़ब्ज़ ख़त्म होती हैं खाना खाने के बाद सेब नहीं खाना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से कब्ज होती हैं

2. सेब का छिलका दस्तावर होता हैं इसलिए कब्ज वाले रोगियों को सेब को उसके छिलके सहित खाना चाहिए तथा दस्त वाले रोगियों को सेब बिना छिलके के खाना चाहिए

3. जिन्हें कब्ज हैं वह रोजाना सुबह के समय भूखे पेट 1-2 सेब खाये, याद रखे सेब को चाकू से काट कर न खाये, सेब को उसके छिलकों सहित खाये, कुछ ही दिनों में कब्ज के इस आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से आपको लाभ नजर आने लगेगा 
        
► अंगूर में इनसोलुब्ले फाइबर 
अंगूर में इनसोलुब्ले फाइबर होता है जो अच्छे अच्छे मल त्याग के लिए फायदेमंद है।
1. रोज एक कटोरी अंगूर या इसके जूस का सेवन करें।

2. 10 से 12 सूखे अंगूरों को दूध में 10 मिनट के लिए गर्म करके शाम को सेवन करें। यह नुस्खा कब्ज से पीड़ित छोटे बच्चों के लिए काफी फायदेमंद होता है।

3. अगर ताजा अंगूर उपलब्ध न हों तो किशमिश को पानी में एक दिन के लिए भिगोये रखकर फिर सेवन करें। उचित फायदा पाने के लिए आप इसे खाली पेट ही सेवन करें। 
        

► मुनक्का भी हैं रामबाण इलाज 
1. मुनक्के में भी तुलसी एलोवेरा जैसे अमृत तुल्य गुण होते हैं यह कई रोगों में रामबाण इलाज का काम करता हैं किसी भी रोग में इनका सेवन भी बहुत आसान होता हैं

2. इनके सेवन के लिए आपको कोई औषधि भी नहीं बनानी होती हैं यहां कब्ज के लिए आपको बस रोजाना 10 मुनक्के गर्म दूध में उबालकर खाना है

3. इस तरह से उपयोग करने पर कुछ ही दिनों में आपको फायदा नजर आने लगेगा 
        

पालक 
पालक पाचन तंत्र को स्वस्थ   पालक पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए काफी फायदेमंद होती है, विशेष रूप से जब आपको कब्ज हो। पालक में ऐसे कई घटक होते हैं जो आंतों के पथ को साफ़ रखते हैं और उसकी मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं।
1. आप पालक का सेवन सीधे खाकर या फिर सब्जी बनाकर भी कर सकते हैं।

2. यदि आपको गंभीर कब्ज है तो आधे गिलास पालक के रस में आधा गिलास पानी मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें। 
        


► फूल गोभी का रस पिने से 
1. रात को सोते समय फूल-गोभी का रस पिने से कब्ज पूरी तरह से दूर हो जाता हैं इस प्रयोग को आप कभी भी आजमा सकते हैं

2. फूल गोभी का यह प्रयोग कब्ज के रोगी को कई फायदे देगा, उसके खून को बढ़ाएगा, पेट के रोगों को ठीक करेगा व पाचन तंत्र को पूरी तरह से स्वस्थ करेगा 
        


► करमकल्ला के कच्चे पत्ते 
1. करमकल्ला के कच्चे पत्ते रोजाना खाने से पुरानी कब्ज दूर होती हैं शरीर में व्याप्त विजातीय पदार्थ (दोषपूर्ण पदार्थ) गुदा मार्ग से बाहर निकल जाते हैं यानी पेट की आंतड़ियों में फंसे हर तरह के पदार्थ को यह शरीर से बाहर निकालने में मदद करता हैं

2. यह अब तक के आसान और कब्ज का रामबाण इलाज में से एक हैं इसमें सिर्फ आपको करमकल्ला के पत्तों का ही सेवन करना हैं 
        

► कब्ज के लिए चूर्ण 
1. रात को 1 चम्मच पिसे हुए आंवले का चूर्ण पानी या दूध के साथ लेने से सुबह दस्त साफ़ आता है और कब्ज नहीं रहती हैं इससे आंते और पेट पूरी तरह से साफ़ रहता हैं

2. अगर आपके पास आवलें का पाउडर चूर्ण नहीं हैं तो आप बाजार में से किसी भी आयुर्वेदिक स्टोर पर जाकर पिसे हुए आवलें का पाउडर प्राप्त कर सकते हैं 
        
 

► शीरा है फायदेमंद कब्ज में 
मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए शीरा काफी फायदेमंद औषधि है।
1. रात को सोने से पहले एक चम्मच शीरा का सेवन करें। अगर आपको इसका स्वाद पसंद नहीं है तो इसे आप दूध या फलों के रस में मिलकर भी सेवन कर सकते हैं। अगर समस्या काफी गंभीर हो तो 2 या 3 चम्मच शीरा का सेवन करें।

2. सुबह दो चम्मच शीरा को दो चम्मच  मूंगफली के मक्खन के साथ मिलाकर सेवन करें। 
        

Natural ilaaj :3

►  बथुआ एक आयुर्वेदिक उपाय 
1. बथुआ कब्ज को दूर करता हैं तथा इसके साथ ही अमाशय को शक्ति देता हैं बथुए का साग दस्तावर होता हैं कब्ज के रोगियों को बथुए का साग रोजाना खाना चाहिए

2. कुछ सप्ताह में रोजाना बथुए की सब्जी खाते रहने से हमेशा रहने वाली पुरानी से पुरानी कब्ज भी दूर हो जाती हैं यह भी पुरानी कब्ज का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज हैं

3. इसके सेवन से शारीरिक शक्ति भी बढ़ती हैं और शरीर में नई स्फूर्ति आती हैं इसके लिए रोजाना बथुए की सब्जी खाना बिलकुल न भूले ));
        

► पानी और फाइबर 
1. कब्ज होने का सबसे मुख्य कारण होता है भोजन में फाइबर की कमी। फाइबर एक ऐसा यौगिक है जो पानी को आंत में बांधे रखता है, जिसके फलस्वरूप मलत्याग की प्रक्रिया आसान हो जाती है।

2. अपने भोजन में उच्च फाइबर खाद्य पदार्थ का सेवन करना बहुत जरुरी होता है जैसे सेम, आलू, गाजर, ब्राउन चावल, आलूबुखारा, गेंहू, ताजा फल, हरी सब्जियां, बादाम, कद्दू के बीज, ब्रोकोली, मटर और दाल आदि।

3. कब्ज के दौरान खूब पानी या अन्य तरल पदार्थ का सेवन भी जरुरी होता है। दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पियें। अच्छा परिणाम पाने के लिए रात को ताम्बे के बर्तन में पानी भरकर रख दें और दिनभर इसका सेवन करें। ));
        

► करेले का क़ब्ज़ में घरेलु उपयोग 
1. करेले का मूल अरिष्ट जो होमियोपैथी में मोमार्डीको केरनिष्य Q नाम से मिलता हैं. इसकी 5 से 10 बून्द दवा 1 चम्मच पानी में मिलाकर (पानी अधिक भी ले सकते हैं) दिन में चार बार सेवन करे इस इलाज से कब्ज बड़ी आसानी से दूर हो जाएगी आप इसको किसी भी आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक स्टोर्स पर जाकर इसको खरीद सकते हैं इसके बाद बताई गई विधि अनुसार इससे कब्ज का ट्रीटमेंट करे जल्द ही आराम होगा

2. एक भाग चावल में 2 भाग मूंग की दाल मिलाकर बनाई गई खिचड़ी में घी मिलाकर खाने से कब्ज दूर होती हैं यह एक घरेलु चिकित्सा हैं, जिसे हम दादी मां के घरेलु नुस्खे कहते हैं यह बहुत ही असरकारी व आसान घरेलु इलाज हैं ));
        

► इसबगोल से करे इलाज 
1. गर्म दूध के साथ इसबगोल की भूसी या गुलाब का गुलकंद लेने से शौच खुलकर आता हैं बवासीर के रोगियों के लिए यह प्रयोग बहुत लाभकारी होता हैं इसके साथ ही जिनका कब्ज के वजह से ठीक से पेट साफ़ नहीं हो पता हो तो इस उपाय का उपयोग किया जा सकता हैं इससे पेट साफ़ होकर कब्ज में पूरा लाभ मिलेगा

2. यह शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ कब्ज के लिए घरेलु इलाज का भी काम करेगा एक या दो मुट्ठी चने धोकर रात को भिगो दें सुबह जीरा और सोंठ पीसकर चनो पर डालकर खाएं

3. घंटे भर बाद उस पानी को भी पि लें, जिसमें चने भिगोये गए थे इससे कब्ज दूर होगी और साथ ही पेट पूरी तरह से साफ़ हो जायेगा अंतड़ियों की सफाई हो जाएगी

4. आंतड़ियों में फंसे मल को निकालने व पेटको साफ़ करने में यह उपाय भी बहुत प्रभावकारी होता हैं
कब्ज की रेमेडीज:-
 10 ग्राम [2 चम्मच]  इसबगोल की भूसी 6 घंटे तक पानी में भिगोये, फिर इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर रात को सोते समय पानी के साथ लेने से दस्त साफ़ आता हैं इसे केवल पानी के साथ वैसे ही अर्थात बिना भिगोये भी रात को सोते समय लिया जा सकता हैं अथवा इसबगोल की भूसी 5 से 10 ग्राम की मात्रा में लेकर 200 ग्राम गर्म दूध में भिगो दें यह फूलकर गाढ़ी हो जाएगी

5. इसमें चीनी मिलाकर खाए और ऊपर से थोड़ा गर्म दूध पि लें शाम को सोते समय यह प्रयोग करने से सुबह के समय मल बंधा हुआ व साफ़ आएगा ));
        

► गर्म-दूध 
गर्म दूध और घी का घरेलु उपाय 
1. गर्म दूध और घी मिलाकर पिने से दस्त नरम ढीला होता हैं यह प्रयोग पाइल्स में लाभदायह होता हैं कोई दस्तावर औषधि के प्रयोग करने से पहले यदि 3 दिन तक घी कालीमिर्च के साथ पि लिया जाए, तो आंते मुलायम होकर मल फूल जाता हैं और फिर दस्तवार औषधि सेवन करने से पेट की सब गंदगी बहार निकल जाती हैं

2. यह एक ऐसा आयुर्वेदिक इलाज हैं जिससे पेट में व अंतड़ियों में फंसे सभी तरह के मल व गन्दी को बाहर निकालने में सक्षम होता हैं इसके कुछ ही दिनों के प्रयोग से आपको पूरा शरीर हल्का मालूम होने लगेगा, भूख खुल जाएगी व शरीर तंदुरस्त होने लगेगा  
        

क़ब्ज़ का एरंड के तेल से इलाज 
1. सोते समय दो चम्मच एरंड का तेल पिने से कब्ज दूर होती हैं तथा दस्त साफ़ आता हैं इसे 1 ग्लास गर्म पानी या गर्म दूध में मिलाकर पिया जा सकता हैं यह हानिरहित नुस्खा हैं गठिया से ग्रस्त रोगियों को तो सप्ताह में 1-2 बार इस प्रयोग को अवश्य करना चाहिए क्योंकि गठिया के मूल में भी बवासीर की ही भांति कब्ज ही मुख्य कारण होता हैं

2. एरंड का तेल अवस्थानुसार 1 से 5 चम्मच तक की मात्रा में 1 कप गर्म पानी या दूध में लेना लाभप्रद रहता हैं वयस्कों ज्यादा उम्र के व्यक्तियों को 2-3 चम्मच और शिशुओं को 1 छोटा चम्मच तथा कठिन कब्ज वाले रोगियों को आठ चम्मच तक एरंड का तेल लेना पड़ सकता हैं और अन्य लोगों को केवल 30 बूंदों से ही पाखाना आ जाता हैं और कब्ज से छुटकारा मिल जाता हैं, इसे आप कब्ज ठीक करने व दूर करने का इलाज भी कह सकते हैं

3. एरंड का तेल बहुत ही अच्छा हानिरहित आयुर्वेदिक इलाज हैं इसे छोटे बच्चों को भी दिया जा सकता हैं और दूध के विकार से उतपन्न पेट दर्द और उलटी होने की अवस्था में भी इसका प्रयोग बहुत हितकारी होता हैं इसके प्रयोग से अमाशय और आंतों को किसी प्रकार की हानि नहीं होती, इसलिए सभी प्रकर के रोगियों को इसको बिना किसी भय के दिया जा सकता हैं

4. इसका प्रयोग कब्ज, बवासीर, आंव के अतिरिक्त आंखों की बिमारियों और खाज-खुजली आदि चर्म रोगों में भी हितकारी हैं इसलिए क़ब्ज़ कॉन्स्टिपेशन का इलाज में इसका प्रयोग जरूर करे ));
        

► छाछ से करे घरेलु देसी इलाज 
छाछ के सेवन से कब्ज, दस्त, पेचिश, खुजली,  चौथे दिन आने वाला (मलेरिया) बुखार, तिल्ली जलोदर, रक्तचाप की कमी या अधिकता, मूत्राशय की पथरी में लाभ होता हैं आदि यह और भी कई स्वास्थ्य लाभ देती हैं खासकर कब्ज में तो यह रामबाण इलाज की तरह काम करती हैं

2. इस उपयोग आपको रोजाना खाना खाने के बाद करना चाहिए ));
        

सोंफ 
सोंफ का उपयोग   चार चम्मच सोंफ एक ग्लास पानी में उबालें और जब पानी आधा रह जाए तो छानकर पिए इस प्रयोग से कब्ज दूर होती हैं और सोते समय आधा चम्मच पीसी हुई सोंफ की फांकी गर्म पानी से लें इससे भी कब्ज दूर होती हैं या सोंफ और हरड़ तथा शक्कर  (हर एक को आधा-आधा चम्मच लें)  मिलाकर व पीसकर गर्म पानी से सेवन करे यह सभी कब्ज से छुटकारा दिलाने के आयुर्वेदिक इलाज हैं 
       

► कब्ज के लिए आसान चूर्ण 
अजीर्ण,  कब्ज होने से दाल चीनी, सोंठ, जीरा और इलाइची प्रत्येक को सममात्रा में लेकर व पीसकर 1/2 चम्मच की मात्रा में गर्म पानी से सेवन करे यह परम लाभप्रद प्रयोग हैं इसके कुछ ही सेवन से आपको बहुत लाभ होगा, जल्द ही कब्ज दूर हो जायेगी इसके साथ साथ पेट के अन्य रोग भी छूमंतर हो जायेंगे 
        

► कब्ज में शहद का उपयोग 
शहद प्राकृतिक हल्का दस्तावर हैं रोजाना सुबह उठने के बाद व रात को सोने से पहले 50 ग्राम शहद ताजे पानी या दूध में मिलाकर पिने से कब्ज में लाभ होता हैं शहद का पेट पर शामक प्रभाव पढता हैं जिससे पेट की सफाई हो जाती हैं इसके प्रयोग से पाचन शक्ति बढ़ती हैं, भूख खुलकर लगती हैं व मोटापे में भी लाभ होता हैं 
        

► नीम से करे आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट 
1. नीम के फूलों को धुप में अच्छे से सूखा लें, जब वह अच्छे से सुख जाए तो उन्हें पीसकर सुरक्षित रख लें, यह चूर्ण चुटकी भर रोजाना रात को गर्म पानी के साथ सेवन करने से कब्ज की शिकायत कभी नहीं होती और जिन्हें कब्ज की शिकायत हैं, तो उनकी शिकायत भी दूर हो जाती हैं

2. साथ ही नीम शरीर पर कई अन्य शारीरक लाभ भी छोड़ता हैं नीम कॉन्स्टिपेशन ट्रीटमेंट के लिए बहुत फायदेमन्द होती हैं पेट की सारी अंतड़ियों में खून की सफाई भी करती हैं और खून की सफाई करना नीम का प्राकृतिक जातीय गुण हैं, इसलिए यह खून में मौजूद सभी बेकार के पदार्थों को ख़त्म कर खून को साफ़ बनाती हैं  
        

पुरानी से पुरानी कब्ज का इलाज 

1. जिन्हें कब्ज की शिकायत रहती हो, उन्हें भोजन के साथ घूंट-घूंट पानी पीते रहना चाहिए, और साथ ही रोजाना सुबह उठने के तुरंत बाद ही 2 ग्लास पानी पीना चाहिए ऐसा करने से शरीर में पानी की कमी नहीं रहती जिससे कब्ज में लाभ होता हैं

2. शरीर में तरलता बढ़ती हैं इसके साथ ही सुबह पानी पिने के और भी कई ढेरों लाभ होते हैं 
        

► चमत्कारी चुरन रामबाण इलाज 

1.  100 ग्राम छोटी काली हरड़ लेकर देसी घी में भून लें जब हरड़ फूल जाए और धुंआ-सा निकलने लगे, तब उसे घी से अलग कर लें उसके बाद 100 ग्राम बड़ी सोंफ लेकर उसमें से 50 ग्राम सोंफ को लेकर घी में अलग से भून लें और बाकी 50 ग्राम सोंफ कच्चा ही रखें तथा भुनी हुई सोंफ में मिला लें

2. इसके बाद पहले भुनी हरड़ को कूटकर दरदरा चूर्ण बना लें और फिर सोंफ को उसके बाद इस दरदरे चूर्ण में 200 ग्राम देसी घी (पाचन शक्ति के अनुसार) तथा 400 ग्राम मिश्री या बुरा मिलाकर किसी साफ़ स्वच्छ कांच के बर्तन में सुरक्षित रख लें

3. इसको 2 चम्मच यानी दस ग्राम की मात्रा में रोजाना दिन में दो बार सुबह और शाम को दूध के साथ लें तथा सेवन के दो घंटे पूर्व बाद में कुछ भी न खाये इसके नियमित प्रयोग से कुछ ही दिनों में कब्ज दूर हो जाती हैं ज्यातादर सिर्फ 15 दिनों के सेवन से ही उदार शुद्धि हो जाती हैं उदर कृमि भी नष्ट हो जाते हैं

4. यह चूर्ण गैस व कब्ज नाशक होने के साथ-साथ बलवर्धक, वीर्यवर्धक, रसायन, हृदयबल, प्रदायक और आंखो की ज्योति बढ़ाने वाला होता हैं इसका प्रयोग सभी मौसम में बिना किसी डर के किया जा सकता हैं यह कब्ज का इलाज परम गुणकारी व रामबाण हैं इन हिंदी में कब्ज दूर करने में इसका उपयोग जरूर करे 
        
 
► कब्ज दूर करने के लिए चूर्ण 
1. सनाय की पत्ती 20 ग्राम, सोंठ 5 ग्राम , सोंफ 20 ग्राम, गुलाब के फूल की पत्तियां 10 ग्राम, जीता 10 ग्राम, सेंधा नमक 5 ग्राम और मिश्री 30 ग्राम (कूल 100 ग्राम)  सभी द्रव्यों को अलग-अलग बारीक कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर व मिलाकर सुरक्षित रख लें

2. यह चूर्ण तीन ग्राम की मात्रा में रात को सोते समय पानी के साथ सेवन करे एक सप्ताह तक इसका नियमित सेवन किया जा सकता हैं, लेकिन एक दिन के अंतराल से इसका सेवन कब्ज रोग में कुछ दिन करना लाभप्रद हैं अर्थात एक सप्ताह तक पूरी तरह इसका प्रयोग करे, कब्ज में पूरी तरह से आराम मिल जाएगा 
        
► कब्ज से निजात पाने के लिए दूध और शहद 
1. रोजाना सुबह के समय 1 प्याला ठन्डे या कुछ गर्म पानी में और रात के समय दूध में 1 चम्मच शहद मिलाकर पिने से कब्ज दूर होती हैं या एक गिलास थोड़े से गर्म पानी में एक चम्मच नीबू का रस और एक चम्मच अदरक का रस आठ दो चम्मच शहद मिलाकर पिने से अजीर्ण और कब्ज दूर होती हैं

2. यह अब तक का सबसे सरल उपाय में से एक हैं जिनसे कब्ज के रोग का इलाज किया जा सकता हैं, इसमें उपयोग की जाने वाली चीजें भी घर पर बड़ी आसानी से उपलब्ध होती हैं इसलिए यह सबसे सरल रामबाण घरेलु इलाज हैं। 
        

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Comments

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  3. Good description... Plz share more and more regarding Ayurvedic remedies.. Thanks for sharing

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