Cure for ASTHMA permanently in Ayurveda! "अस्थमा को जड़ से खत्म करने के उपाय" , #अस्थमा परिचय, कारण, लक्षण, बचाब, रामबाण इलाज, स्वस्थ फेफड़ों के लिए ayurvedic उपचार, Ways to treat asthma naturally!
परिचय
सूक्ष्म श्वास नलियों में कोई रोग उत्पन्न हो जाने के कारण जब किसी व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होने लगती है तब यह स्थिति दमा रोग कहलाती है, इस रोग में व्यक्ति को खांसी की समस्या भी होती है।
कारण :
• औषधियों का अधिक प्रयोग करने के कारण कफ़ सूख जाने से दमा हो जाता है।
• अस्थमा या एलर्जी का पारिवारिक इतिहास (आनिवांशिक दमा)
• खान-पान के गलत तरीके से यह रोग हो सकता है।
• मानसिक तनाव, क्रोध तथा अधिक भय के कारण भी दमा होने का एक कारण है।
• खून में किसी प्रकार से दोष उत्पन्न हो जाने के कारण भी दमा हो सकता है।
• नशीले पदार्थों का अधिक सेवन करना भी इस रोग का कारण है।
• खांसी, जुकाम तथा नजला रोग अधिक समय तक रहने से दमा हो सकता है।
• भूख से अधिक भोजन खाने से दमा हो सकता है।
• मनुष्य की श्वास नलिका में धूल तथा ठंड लग जाने के कारण भी दमा हो सकता है।
• मल-मूत्र के वेग को बार-बार रोकने से यह रोग हो सकता है।
लक्षण :
• जब दमा रोग से पीड़ित रोगी को दौरा पड़ता है तो उसे सूखी या ऐठनदार खांसी होती है।
• दमा रोग से पीड़ित रोगी को कफ सख्त, बदबूदार तथा डोरीदार निकलता है।
• पीड़ित रोगी को सांस लेनें मे बहुत अधिक कठिनाई होती है।
• यह रोग स्त्री-पुरुष दोनों को हो सकता है।
• रात के समय में लगभग 2 बजे के बाद दौरे अधिक पड़ते हैं।
• सांस लेते समय अधिक जोर लगाने पर रोगी का चेहरा लाल हो जाता है।
आयुर्वेदिक उपचार :
1. लहसुन दमा के इलाज में काफी कारगर साबित होता है। 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है।
2. अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है। सबेरे और शाम इस चाय का सेवन करने से मरीज को फायदा होता है।
3. 4-5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएँ और गरम-गरम पी लें। हर रोज दो से तीन बार यह काढ़ा बनाकर पीने से मरीज को निश्चित रूप से लाभ होता है।
4. 180 मिमी पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर करीब 5 मिनट तक उबालें। मिश्रण को ठंडा होने दें, उसमें चुटकीभर नमक, कालीमिर्च और नीबू रस भी मिलाया जा सकता है। इस सूप का नियमित रूप से इस्तेमाल दमा उपचार में कारगर माना गया है।
5. मैथी का काढ़ा तैयार करने के लिए एक चम्मच मैथीदाना और एक कप पानी उबालें। हर रोज सबेरे-शाम इस मिश्रण का सेवन करने से निश्चित लाभ मिलता है।
6. एक पका केला छिलका लेकर चाकू से लम्बाई में चीरा लगाकर उसमें एक छोटा चम्मच दो ग्राम कपड़ा छान की हुई काली मिर्च भर दें। फिर उसे बगैर छीले ही, केले के वृक्ष के पत्ते में अच्छी तरह लपेट कर डोरे से बांध कर 2-3 घंटे रख दें। बाद में केले के पत्ते सहित उसे आग में इस प्रकार भूने की उपर का पत्ता जले। ठंडा होने पर केले का छिलका निकालकर केला खा लें।
बचाव :
• रोगी को गर्म बिस्तर पर सोना चाहिए।
• धूम्रपान नहीं करना चाहिए।
• भोजन में मिर्च-मसालेदार चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
• धूल तथा धुंए भरे वातावरण से बचना चाहिए।
• मानसिक परेशानी, तनाव, क्रोध तथा लड़ाई-झगडों से बचना चाहिए।
• शराब, तम्बाकू तथा अन्य नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
रामबाण इलाज
वासा - यह सिकुड़ी हुई श्वसन नालियों को चौड़ा करने में काम करती है|
कंटकारी- यह गले और फेफड़ों में जमे हुए चिपके हुए पदार्थों को साफ करने में काम करती है|
पुष्करमूल - एंटीहिस्टामाइन ठीक है काम करने के साथ एंटीबैक्टीरियल गुण से भरपूर औषधि है|
यष्टिमधु - यह भी गले को साफ करने का काम करती है।
स्वस्थ फेफड़ों के लिए आयुर्वेदिक उपचार
फेफड़ों का काम वातावरण से ऑक्सीजन लेना और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर उसे वातावरण में छोड़ना है। साथ ही यह शुद्ध रक्त धमनी द्वारा दिल में पहुंचता है, जहां से यह फिर से शरीर के विभिन्न अवयवों में पम्प किया जाता है, इसलिए फेफड़ों का स्वस्थ रहना जरूरी है। बहुत से हर्ब्स ऐसे है जिनके सेवन से फेफड़ों को स्वस्थ रखा जा सकता हैं। आगे के स्लाइड में उन्हीं के बारे में चर्चा की गई हैं।
स्वस्थ फेफड़ों के लिए अचूक आयुर्वेदिक उपाय
मुनक्का- मुनक्का के ताजे और साफ 15 दाने रात में 150 मिलीलिटर पानी में भिगो दें। सुबह बीज निकालकर फेंक दें। गूदे को खूब अच्छी तरह चबा-चबाकर खायें। बचे हुए पानी को पी लें। एक महीने तक इसका सेवन करने से फेफड़े मजबूत होते हैं।
अंगूर- अंगूर फेफड़े के सभी प्रकार के रोगों को दूर रखता है। खांसी और दमे जैसी बीमारियों में अंगूर कासेवन बहुत फायदा पहुंचाता है। हां अगर आपको डायबिटीज है तो इसका अधिक सेवन न करें।
शहद- रोजाना सुबह एक चम्मच शहद का सेवन करें। एक दो महीने तक इसका सेवन करने से फेफड़ों के रोग दूर होते हैं और फेफड़े मजबूत बनते हैं।
अंजीर- फेफड़े की परेशानियों को दूर करने में अंजीर काफी मदद करती है। 5 अंजीर को एक गिलास पानी में उबाल लीजिये। दिन में दो बार इसका सेवन करने से फेफड़ों की गंदगी साफ होती है और उन्हें शक्ति मिलती है।
मुलहठी- खांसी और खराश में मुलहठी के फायदे आप जानते ही हैं। यह फेफड़ों के लिए बहुत लाभदायक होती है। पान में डालकर मुलहठी का सेवन करने से कफ नाश होता है।
तुलसी- तुलसी के सूखे पत्ते, कत्था, कपूर और इलायची समान मात्रा में ले लीजिए। इसमें नौ गुना चीनी मिलाकर बराबर मात्रा में पीस लें। इस मिश्रण की चुटकी भर मात्रा दिन में दो बार खायें। इससे फेफड़ों में जमा कफ निकल जाता है।
शहतूत के पत्ते- शहतूत के पत्ते चबाने से फेफड़ों के रोग, फेफड़ों की जलन, सिरदर्द और खांसी आदि दूर होती है।
लहसुन- लहसुन को कफनाशक समझा जाता है। भोजन के बाद लहसुन का सेवन करने से छाती साफ रहती है और कई रोगों से रक्षा होती है।
BRONCHIAL ASTHMA (तमकश्वास):
अन्तमूल (दमवेल, दमाबूटी), दुग्धिका, अर्क (Asthex Tab), शटी, मधुयष्टी (Lergex Tab), धत्तूरा।
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